FIR ON TEENU ANAND: बॉलीवुड के वरिष्ठ अभिनेता टीनू आनंद इन दिनों एक बड़े विवाद में घिर गए हैं। ‘दबंग’, ‘गजनी’, ‘साहो’ जैसी मशहूर फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से पहचान बनाने वाले टीनू आनंद पर एक व्हाट्सएप संदेश में आवारा कुत्तों को मारने की धमकी देने का आरोप लगा है। इस बयान के वायरल होने के बाद उनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज की गई है। हालांकि, अब अभिनेता ने इस पूरे मामले में अपनी सफाई दी है और कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
क्या है पूरा मामला?(FIR ON TEENU ANAND)
मामला तब शुरू हुआ जब PAL (Protection and Life) फाउंडेशन ने सोशल मीडिया पर एक व्हाट्सएप संदेश साझा किया, जो कथित तौर पर टीनू आनंद (FIR ON TEENU ANAND)द्वारा भेजा गया था। इस संदेश में उन्होंने लिखा था कि वे शूटिंग से घर लौटते समय आवारा कुत्तों द्वारा परेशान किए गए। उन्होंने यह भी लिखा कि यदि ये कुत्ते इसी तरह परेशान करते रहे तो वे अपनी सुरक्षा के लिए हॉकी स्टिक का इस्तेमाल करेंगे और चेतावनी दी कि जो लोग इन कुत्तों से प्यार करते हैं, वे उन्हें घर ले जाएं वरना उनके गुस्से का सामना करना पड़ेगा।
यह संदेश जैसे ही सार्वजनिक हुआ, सोशल मीडिया पर तूफान आ गया। पशु प्रेमियों और नेटिज़न्स ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। मामला यहीं नहीं रुका, बल्कि पशु अधिकार कार्यकर्ता और एसीपी सुधीर कुडलकर ने मुंबई पुलिस में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कर दी।
कानूनी पहलू और पशु अधिकारों की बात(FIR ON TEENU ANAND)
शिकायतकर्ता सुधीर कुडलकर ने स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों को मारने या धमकाने का प्रयास भारतीय कानून के तहत अपराध है। उन्होंने कहा, “भारत के कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार, आवारा कुत्ते भी संरक्षित हैं। इनका टीकाकरण और नसबंदी कराई जाती है। किसी भी नागरिक को, चाहे वह कितना ही बड़ा सेलिब्रिटी क्यों न हो, उन्हें नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं है।”
सुधीर कुडलकर ने टीनू आनंद से सार्वजनिक रूप से लिखित माफ़ी मांगने की मांग की और कहा कि कानून सबके लिए बराबर है।
टीनू आनंद की सफाई: ‘मैंने आत्मरक्षा की बात की’(FIR ON TEENU ANAND)
इस पूरे विवाद पर टीनू आनंद (FIR ON TEENU ANAND)ने फ्री प्रेस जर्नल से बात करते हुए अपनी सफाई दी। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे की जड़ उनकी बेटी की एक दर्दनाक घटना है। उन्होंने कहा, “मेरी बेटी एक दिन अपने पालतू कुत्ते को टहलाने ले गई थी, तभी एक आवारा कुत्ते ने हमला कर दिया। उसे बचाने के चक्कर में उसकी कलाई की हड्डी टूट गई और हमें दो सर्जरी करानी पड़ीं, जिसमें 90,000 रुपये का खर्च आया।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं अब 80 साल का हो चुका हूं। अगर मुझ पर कोई जानवर हमला करता है तो मुझे आत्मरक्षा करने का अधिकार है। मैंने किसी कुत्ते पर हमला करने की बात नहीं की थी, मैंने सिर्फ अपनी सुरक्षा की बात की थी। लोगों ने मेरे शब्दों को गलत तरीके से लिया और उसे हिंसा की धमकी के रूप में पेश किया।”
सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया(FIR ON TEENU ANAND)
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का सैलाब आ गया है। कुछ लोग टीनू आनंद के समर्थन में खड़े हैं और कह रहे हैं कि यदि किसी की जान पर बन आए तो उसे आत्मरक्षा का अधिकार है। वहीं, बड़ी संख्या में लोग उनके व्हाट्सएप संदेश को गैर-जिम्मेदाराना बता रहे हैं और कह रहे हैं कि एक सार्वजनिक व्यक्ति को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
क्या कहता है कानून?
भारतीय दंड संहिता और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत जानवरों को नुकसान पहुंचाना एक दंडनीय अपराध है। खासकर जब ये जानवर टीकाकरण और नसबंदी जैसी सरकारी प्रक्रियाओं से गुज़रे हों, तब उनका संरक्षण और भी अधिक सख्त होता है।