Is Constant Workload Damages The Brain: शोध से पता चलता है कि निरंतर तनाव और दबाव में काम करने से मस्तिष्क की रचनात्मकता और कुशलता प्रभावित होती है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो हर वक्त अधिक उत्पादक रहने की सोचते हैं, तो सावधान हो जाइए। हर समय उत्पादक बने रहने की कोशिश वास्तव में मानसिक थकान और बर्नआउट की ओर ले जा सकती है।
जबकि बड़ी कंपनियों के नेता, जैसे कि इंफोसिस के सह-संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति और ओला के सीईओ भाविश अग्रवाल, लंबे काम के घंटों की वकालत कर रहे हैं, वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण बताता है कि इससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है। न्यूरोसाइंटिस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बहुत अधिक उत्पादक बनने की कोशिश आपके मस्तिष्क की रचनात्मक क्षमता को कम कर देती है।
Is Constant Workload Damages The Brain: लोकस कोएर्यूलस और मस्तिष्क की गियर व्यवस्था।
मस्तिष्क का एक छोटा हिस्सा, जिसे लोकस कोएर्यूलस कहा जाता है, काम करने के तरीके को नियंत्रित करता है। यह मस्तिष्क के “गियर” के बीच स्विच करता है, जो ध्यान और सतर्कता को प्रभावित करता है। गियर 1 तब सक्रिय होता है जब मस्तिष्क आराम की स्थिति में होता है, गियर 2 ध्यान और रचनात्मकता के लिए उत्तम माना जाता है, और गियर 3 तनाव और संकट की स्थिति में काम करता है।
गियर 3 में फंसे रहना: नुकसानदायक प्रभाव।
अगर आप लगातार गियर 3 में काम करते हैं, तो इससे रचनात्मक और विश्लेषणात्मक सोच में कमी आती है। यह मानसिक थकान, चिंता और दीर्घकालिक उत्पादकता में कमी का कारण बन सकता है। शोधकर्ता सुझाव देते हैं कि गियर 2 में काम करना सबसे उपयुक्त है, जहाँ आप ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
संतुलन की ज़रूरत
मस्तिष्क को कभी-कभी आराम देने और गियर 1 में जाने देना महत्वपूर्ण है। ब्रेक लेने से मस्तिष्क दोबारा ऊर्जावान होकर अधिक कुशलता से काम कर सकता है।