महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: से पहले हिंदू नेता प्रवीण तोगड़िया की अचानक सक्रियता ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। पिछले छह वर्षों से राजनीतिक दृश्य से गायब तोगड़िया ने हाल ही में नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की, जिसके बाद अटकलें तेज हो गईं कि उनका यह कदम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए मुसीबत बन सकता है।
दशहरा रैली में मंच पर साथ दिखे
आरएसएस की नागपुर में हुई दशहरा रैली में तोगड़िया और भागवत मंच पर साथ नजर आए, जिसके बाद अगले ही दिन दोनों के बीच बातचीत भी हुई। तोगड़िया, जो लंबे समय से बीजेपी के आलोचक रहे हैं, अब अचानक हिंदू समाज की एकता पर जोर देते हुए सामने आए हैं। दशहरा रैली में उन्होंने हिंदू समाज को एकजुट रहने का संदेश दिया, और इसके ठीक 24 घंटे बाद भागवत से उनकी बैठक ने और भी सवाल खड़े कर दिए।
क्या बीजेपी को लेकर भागवत को दी सलाह?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि तोगड़िया ने इस मुलाकात के दौरान बीजेपी की नीतियों को लेकर भागवत से बात की। एक रिपोर्ट के अनुसार, तोगड़िया ने कहा कि हिंदू समाज अब किसी राजनीतिक दल पर विश्वास नहीं कर रहा है, और बीजेपी राम मंदिर का चुनावी फायदा उठाने में असफल रही है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि राम मंदिर के निर्माण के बावजूद, हिंदू समाज की मुख्य समस्याओं, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और महिलाओं की सुरक्षा, पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उनके इस बयान को सीधे तौर पर बीजेपी पर निशाना माना जा रहा है।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में नहीं बुलाए गए थे
तोगड़िया की बीजेपी से दूरी उस समय और स्पष्ट हो गई थी जब जनवरी 2024 में अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया था। यह उनके और बीजेपी के बीच बढ़ते फासले का संकेत माना जा रहा है।
क्या तोगड़िया का पुनः सक्रिय होना बीजेपी के लिए खतरा है?
तोगड़िया का अचानक सक्रिय होना और भागवत से उनकी मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। बीजेपी और आरएसएस के बीच की दूरी पर पहले से ही चर्चाएं हो रही हैं, और तोगड़िया का वापस आना इस बात का संकेत हो सकता है कि हिंदू संगठनों के बीच बीजेपी को लेकर असंतोष बढ़ रहा है। हालांकि, तोगड़िया ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि उनकी मुलाकात का कोई राजनीतिक मकसद नहीं था, लेकिन उनके हालिया बयानों ने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को सोचने पर मजबूर कर दिया है। https://www.rss.org/
आगे की राह
यह देखना दिलचस्प होगा कि तोगड़िया की इस सक्रियता का असर महाराष्ट्र चुनाव पर क्या पड़ता है। क्या वह बीजेपी के लिए एक नई चुनौती बन सकते हैं, या फिर उनकी यह वापसी महज संयोग है? यह सवाल अब हर राजनीतिक विश्लेषक के दिमाग में है, और इसका जवाब आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
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