महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे आए हुए छह दिन बीत चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस बरकरार है। महायुति (एनडीए) में शामिल भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और अन्य सहयोगी दलों के बीच मंथन का दौर जारी है। गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ तीनों दलों के नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, लेकिन मुख्यमंत्री के नाम पर अब तक अंतिम फैसला नहीं हो सका।
शिंदे की मांगें और भाजपा की परेशानी
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से मुलाकात के दौरान शिवसेना के लिए कुछ विशेष मांगें रखीं। शिंदे ने शिवसेना को विधान परिषद के अध्यक्ष पद, 12 मंत्री पद, और गृह व शहरी विकास जैसे प्रमुख मंत्रालय देने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी अपील की कि पालक मंत्री (Guardian Minister) बनाते समय शिवसेना के महत्व को बनाए रखा जाए।
हालांकि, अमित शाह ने इन मांगों पर कोई ठोस वादा नहीं किया। शिंदे ने यह भी स्पष्ट किया कि शिवसेना महायुति के साथ है और वह गठबंधन धर्म निभाएगी। लेकिन शिवसेना के लिए उचित सम्मान सुनिश्चित करने की शर्तों के साथ उन्होंने भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है।
फडणवीस होंगे सीएम, शिंदे ने हटाया कदम
सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की दौड़ से खुद को अलग कर लिया है और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने पर सहमति दे दी है। हालांकि, शिंदे ने अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए बड़े मंत्रालयों और पदों की मांग रखी है।
भाजपा के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो गई है क्योंकि शिंदे गुट की नाराजगी न केवल महाराष्ट्र में बल्कि एनडीए के अन्य घटक दलों में भी असंतोष फैला सकती है।
भाजपा कर रही है मांगों पर विचार
शिंदे की मांगों को लेकर भाजपा गंभीरता से विचार कर रही है। पार्टी किसी भी स्थिति में शिंदे गुट को नाराज नहीं करना चाहती। ऐसा माना जा रहा है कि अगर गृह मंत्रालय शिवसेना को नहीं दिया गया, तो शहरी विकास समेत कुछ अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालय उन्हें सौंपे जा सकते हैं।
भाजपा सूत्रों ने संकेत दिया है कि गृह मंत्रालय देने पर भी चर्चा चल रही है। भाजपा महाराष्ट्र में यह संदेश देना चाहती है कि वह अपने सहयोगियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करती है और उनके हितों का ध्यान रखती है।
शपथ ग्रहण में हो सकती है देरी
सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल गठन में हो रही देरी का मुख्य कारण शिंदे की मांगें हैं। उम्मीद है कि इस मुद्दे पर जल्द ही अंतिम सहमति बनेगी और 5 दिसंबर तक मुख्यमंत्री व मंत्रिमंडल का शपथग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। https://www.bjp.org/
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र का यह घटनाक्रम न केवल राज्य में बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।