PM Modi Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब और सूफी परंपरा की विरासत को सलाम करते हुए कहा कि यह देश जन्नत का वह बगीचा है, जहां हर रंग की तहजीब फली-फूली है। राजधानी दिल्ली के सुंदर नर्सरी में आयोजित जहान-ए-खुसरो सूफी संगीत महोत्सव के 25वें संस्करण के अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं का उल्लेख किया और रमजान की मुबारकबाद भी दी।
उन्होंने कहा, “वह हिंदुस्तान, जिसकी तुलना हज़रत अमीर खुसरो ने जन्नत से की थी। हमारा हिंदुस्तान वह बाग है, जहां तहजीब और संस्कृति के हर रंग खिले हैं। यहां की मिट्टी की खासियत है कि यह हर संस्कृति को अपने में समा लेती है।”
सूफी परंपरा की खासियत पर प्रधानमंत्री का जोर
PM Modi Speech प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में सूफी परंपरा की विशेषता को रेखांकित करते हुए कहा कि जब यह परंपरा हिंदुस्तान आई, तो उसे लगा जैसे वह अपनी ही जमीन पर लौट आई हो। उन्होंने कहा, “सूफी संतों ने कभी खुद को सिर्फ मस्जिदों और खानकाहों तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने कुरान के हर्फ पढ़े, वेदों के शब्द सुने और अज़ान की सदा में भक्ति के गीतों की मिठास को जोड़ा।”
PM Modi Speech प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश की सभ्यता और संस्कृति को सबसे सुंदर अभिव्यक्ति उसके संगीत, कला और साहित्य से मिलती है। इसी संदर्भ में उन्होंने जहान-ए-खुसरो समारोह की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल भारत की कला और संस्कृति को सहेजने का कार्य कर रहा है, बल्कि लोगों को एक आध्यात्मिक सुकून भी देता है।
जहान-ए-खुसरो: 25 साल की सफलता का सफर
PM Modi Speech जहान-ए-खुसरो महोत्सव के 25 वर्षों की यात्रा को बड़ी उपलब्धि बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछले 25 वर्षों में यह आयोजन लोगों के दिलों में जगह बना चुका है। यह सिर्फ एक समारोह नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और आगे बढ़ाने का एक प्रयास है।”
यह महोत्सव दुनिया भर से सूफी संगीतकारों, कवियों और कलाकारों को एक मंच प्रदान करता है, जहां वे अपनी कला और विचारों को साझा कर सकते हैं। इसे 2001 में मशहूर फिल्म निर्माता और कलाकार मुजफ्फर अली ने शुरू किया था और यह आयोजन रूमी फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया जाता है।

स्थानीय शिल्प और हस्तकला को बढ़ावा
PM Modi Speech प्रधानमंत्री ने महोत्सव के दौरान टीईएच बाजार का भी अवलोकन किया, जहां ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना के तहत देशभर की विभिन्न हस्तनिर्मित वस्तुएं प्रदर्शित की गईं। इस बाजार में शिल्पकला, हथकरघा और पारंपरिक कलाकृतियों के साथ-साथ हस्तशिल्प पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह के प्रयास देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को न केवल संरक्षित करने का काम करते हैं, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में भी मदद करते हैं।
भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में मजबूत कदम
जहान-ए-खुसरो जैसे समारोह भारत की सांस्कृतिक विविधता और आपसी सौहार्द को सशक्त करने का कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से यह स्पष्ट होता है कि सरकार भी इस सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। https://publichint.com/
PM Modi Speech यह महोत्सव न केवल सूफी परंपरा के संदेश को फैलाने का काम कर रहा है, बल्कि भारत की कला, संस्कृति और संगीत को वैश्विक मंच पर भी स्थापित कर रहा है। https://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0_%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A5%80