Share Market: भारतीय शेयर बाजार लगातार तीसरे सप्ताह गिरावट के साथ बंद हुआ, जिससे निवेशकों की चिंताएं और बढ़ गई हैं। अगले सप्ताह बाजार में कुछ अहम फैक्टर्स असर डाल सकते हैं, जिससे निफ्टी और सेंसेक्स के उतार-चढ़ाव की संभावना बनी हुई है। इनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का टैरिफ रुख, रुपया और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की गतिविधियां, टेक्निकल एनालिसिस और चीन से जुड़े संभावित फैसले शामिल हैं। आइए जानते हैं कि कैसे ये कारक सोमवार को भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।
Share Market निफ्टी और सेंसेक्स में गिरावट
शुक्रवार को निफ्टी ने 22,800 के महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल को तोड़ते हुए 22,720 तक की गिरावट दर्ज की, हालांकि यह बाद में 22,795.90 पर बंद हुआ। सेंसेक्स में भी 424.90 अंकों की गिरावट देखी गई और यह 75,311.06 पर बंद हुआ। मेटल सेक्टर एकमात्र ऐसा सेक्टर रहा जो बढ़त में रहा, क्योंकि चीन से संभावित टैरिफ के चलते इस सेक्टर को समर्थन मिला। Share Market दूसरी ओर, ऑटो, फार्मा और हेल्थकेयर इंडेक्स में लगभग 2% की गिरावट दर्ज की गई। Share Market विशेष रूप से फार्मा स्टॉक्स में भारी बिकवाली देखी गई, जिसका मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा फार्मास्युटिकल्स पर अप्रत्याशित शुल्क की घोषणा थी।
1. डोनाल्ड ट्रम्प का टैरिफ रुख
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में भारत और चीन पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की धमकी दी है। इस बयान के बाद से भारतीय कंपनियों के शेयरों पर दबाव बढ़ता नजर आ रहा है। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह टैरिफ कब और किन देशों पर लगाया जाएगा, लेकिन बाजार में इसका असर पहले से ही दिखाई देने लगा है। Share Market अमेरिकी व्यापार नीति में कोई भी बदलाव भारतीय निर्यातकों और वैश्विक बाजारों में भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा को प्रभावित कर सकता है।
2. FII और DII का एक्शन
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की गतिविधियां भारतीय बाजार में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। शुक्रवार को FIIs ने कुल 3,449.15 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि DIIs ने 2,884.61 करोड़ रुपये की खरीदारी की। इस भारी बिकवाली के कारण बाजार में दबाव बना रहा। अगर FIIs की बिकवाली जारी रहती है, तो यह सोमवार को भी निफ्टी और सेंसेक्स में गिरावट ला सकती है। वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों की ओर से मजबूत खरीदारी बाजार को समर्थन दे सकती है।
3. टेक्निकल एनालिसिस के संकेत
शेयर बाजार के तकनीकी पहलुओं पर नजर डालें तो निफ्टी के डेली चार्ट पर एक छोटा लाल कैंडल पैटर्न बना है, जिसमें मामूली ऊपरी और निचली शैडोज हैं। Share Market इस पैटर्न का तात्पर्य उच्च उतार-चढ़ाव और निवेशकों के बीच अनिश्चितता से है। इस तरह के पैटर्न आमतौर पर बाजार में अस्थिरता को बढ़ाते हैं और आने वाले दिनों में और अधिक गिरावट की संभावना व्यक्त करते हैं। अगर निफ्टी 22,700 के स्तर से नीचे चला जाता है, तो यह और गिरकर 22,500 या उससे भी कम तक जा सकता है।
4. रुपये की स्थिति और कच्चे तेल की कीमतें
रुपये में गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी बाजार को प्रभावित कर सकता है। शुक्रवार को रुपया 0.05 रुपये की गिरावट के साथ 86.70 पर बंद हुआ। Share Market विदेशी निवेशकों की बिकवाली और अमेरिकी डॉलर इंडेक्स के $106.60 तक गिरने के कारण रुपये पर दबाव बना रहा। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर इंपोर्ट ड्यूटी में कमी की संभावना के चलते रुपये में कमजोरी देखने को मिली।
दूसरी ओर, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई। Share Market ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स $2.05 की गिरावट के साथ $74.43 प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड $2.26 की गिरावट के साथ $70.22 पर आ गया। तेल की कीमतों में गिरावट से भारतीय बाजार को राहत मिल सकती है, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है। हालांकि, यदि तेल की कीमतें फिर से बढ़ती हैं, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
5. चीन से जुड़ी नीतियां और आयात शुल्क
चीन से संभावित आयात शुल्क से जुड़े फैसलों का भी बाजार पर प्रभाव पड़ सकता है। हाल ही में, चीन से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने की संभावना के कारण भारतीय मेटल सेक्टर को मजबूती मिली। यदि सोमवार को इस बारे में कोई ठोस निर्णय आता है, तो इससे बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। Share Market मेटल सेक्टर को इससे फायदा हो सकता है, जबकि ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी सेक्टर को नुकसान हो सकता है, क्योंकि वे चीन से आयात पर निर्भर हैं।
Share Market निवेशकों के लिए सलाह
- बाजार की अस्थिरता को ध्यान में रखें: निवेशकों को उच्च अस्थिरता के लिए तैयार रहना चाहिए और स्टॉप लॉस का उपयोग करके ट्रेडिंग करनी चाहिए।
- टेक्निकल सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तरों पर नजर रखें: यदि निफ्टी 22,700 के स्तर से नीचे जाता है, तो और गिरावट की संभावना बढ़ जाएगी।
- ग्लोबल इवेंट्स पर नजर रखें: अमेरिकी व्यापार नीति, डॉलर इंडेक्स और कच्चे तेल की कीमतों में किसी भी बदलाव का भारतीय बाजार पर प्रभाव पड़ सकता है।
- लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए मजबूत स्टॉक्स चुनें: बाजार में गिरावट के बावजूद, लंबी अवधि के निवेशकों को अच्छे फंडामेंटल वाले स्टॉक्स में अवसर मिल सकते हैं। https://www.startupindia.gov.in/
निष्कर्ष
सोमवार को भारतीय शेयर बाजार के लिए कई महत्वपूर्ण फैक्टर्स प्रभावी होंगे। डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ रुख, रुपये और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, FIIs और DIIs की गतिविधियां, टेक्निकल संकेत और चीन से जुड़ी संभावित घोषणाएं बाजार में भारी अस्थिरता ला सकती हैं। निवेशकों को सतर्क रहने और बाजार की चाल को ध्यान में रखते हुए निवेश करने की सलाह दी जाती है। https://publichint.com/tesla-price-in-india/